रायपुर. अपने बच्चे के लिए आपको शिकायत होती है कि वह आपकी बात नही मानता. रिश्तेदारों से मिलने में कतराता है. अपनी पढाई पर ध्यान नही देता. अपने कमरे से बाहर नही आता या सारा दिन दोस्तों के साथ रहना चाहता है. बात बात पर गुस्सा करता है. जैसी कई बाते हैं जो हार्माेनल परिवर्तन के शुरू में तो हर बच्चे के व्यवहार में इस तरह के बदलावों को सामान्य माना जाता है, लेकिन इन्हें अनदेखा करने से कई बार बच्चों की यही आदत परेशानी का कारण बना देती है. अगर इसे ज्योतिषीय नजरिये से देखें तो किसी भी जातक की कुंडली में अगर उसका तीसरे स्थान का स्वामी छठवे, आठवे या बारहवे स्थान पर बैठ जाए अथवा इस स्थान पर मंगल या मंगल राहु से आक्रांत हो जाए तो स्वभाव में गुस्सा आ सकता है.
अगर मंगल कुंडली के लग्न या पंचम भाव में हो तो व्यक्ति में क्रोध की अधिकता रहती है. कुंडली में मंगल और बुध का योग व्यक्ति को बेहद क्रोधित स्वभाव वाला बनाता है. सूर्य और मंगल का योग व्यक्ति को क्रोधित बनाता है. कुंडली में द्वितीय और पंचम भाव में यदि कोई पाप योग बन रहा हो, या कोई नीच ग्रह राशि में बैठा हो तो भी व्यक्ति अधिक क्रोध करने लगता है. बृहस्पति और मंगल का योग भी व्यक्ति को जल्दी और अत्यधिक क्रोध वाला बनाता है. लग्नेश एवं पंचमेश के साथ मंगल का योग भी क्रोध बढ़ाता है. कुंडली में गुरु चांडाल योग होने पर व्यक्ति क्रोध और अभद्र व्यवहार करने लगता है.
जिनकी कुंडली मे मंगल राहु और शनि ज्यादा प्रभावित होते है वो लोग अधिक झगड़ालू प्रवृत्ति के होते हैं. अगर मंगल के साथ राहु होगा तो ज्यादा झगड़ा करते है, क्योंकि राहु शरीर मे गर्मी बढ़ाता है.
यदि आपके बच्चे से भी आपको यहीं शिकायत हो तो उसकी कुंडली का विश्लेषण कराकर आवश्यक ज्योतिषीय निदान जरूर लेना चाहिए, जिसे रोकने के लिए हनुमान चालीसा का नियमित पाठ कराना, हनुमान मंदिर में दर्शन कराना और तीसरे स्थान के स्वामी से संबंधित ग्रह दान करने से गुस्सा को रोका जा सकता है. मंगलवार को हनुमान जी को अनार का फल अर्पित करें. मंगलवार को गुड़ या साबुत लाल मसूर का दान करें. ॐ अं अंगारकाय नमः का नियमित जाप करें.
Comments are closed, but trackbacks and pingbacks are open.