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आदिवासी अंचल के युवा किसान दिखा रहे राह, आधुनिक तकनीक से कर रहे स्ट्रॉबेरी की खेती…

बलरामपुर। कुसमी विकासखंड में रहने वाले दो भाइयों ने उद्यान विभाग की मदद से स्ट्रॉबेरी की खेती कर रहे हैं. कभी उत्पादन के बाद भी बाजार नहीं मिलने से परेशान अब उद्यानिकी और कृषि विभाग की मदद से मार्केटिंग की समस्या दूर होने से उत्साह के साथ कल्पना को नई ऊंचाई देने में जुटे हुए हैं.
दरअसल, प्रदेश के अंतिम छोर पर स्थित बलरामपुर जिले का कुसमी विकासखंड छोटे से शहर के रूप में जाना जाता है. युवा किसान नितेश कुजूर ने खेती-किसानी में नवाचार कर स्ट्रॉबेरी की खेती प्रारंभ की है. लेकिन स्ट्रॉबेरी के लिए बाजार नहीं मिलने से परेशानी  का सामना करना पड़ा. जिले में स्ट्रॉबेरी की फसल होने की जानकारी मिलने पर कलेक्टर कुंदन कुमार ने जिला उद्यानिकी अधिकारी पतराम सिंह को निर्देशित किया और समन्वय स्थापित कर समस्या को दूर किया गया.

मार्केटिंग की समस्या दूर होने के बाद अब युवा कृषक नितेश नए जोश के साथ खेती में जुटा है. नितेश ने बताया कि उसकी फसल काफी अच्छी है, और स्ट्रॉबेरी का मूल्य बाजार में लगभग ढाई सौ रुपये प्रति किलो की दर से चल रहा है. हालांकि, स्थानीय मार्केट में स्ट्रॉबेरी की बिक्री काफी कम है.
नितेश बताते हैं कि उद्यान विभाग से स्ट्रॉबेरी का पौधा लाकर 2 एकड़ में इसकी खेती किया है. वहीं दूरदर्शन में किसान कार्यक्रम को उसने देखा, जिसके बाद खेती शुरू की. स्ट्रॉबेरी की खेती को विज्ञानी तकनीक से करने पर उसे काफी लाभ मिला है. नितेश के सफल खेती को देखकर आसपास के गांव के किसान भी उसके खेत में स्ट्रॉबेरी की खेती देखने आ रहे हैं. उम्मीद की जा रही है कि आने वाले वर्षों में इस इलाके में स्टोबेरी की खेती करने वाले किसानों की संख्या बढ़ सकती है.

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