पालतू गाय का किया परिवार के सदस्य की तरह अंतिम संस्कार
सुसनेर। मनुष्यों एवं पशुओं का प्रेम हम सदियों से देखते आ रहे है।मनुष्य और पशुवो ने इसने प्रेम हो जाता हे की मनुष्य उसे अपने परिवार का अभिन्न अंग समाज लेता हे इंसानों एवं जानवरो के इस प्रेम को कई बार हिंदी फिल्मों में भी दिखाया जाता है। इन सबमे हमे हिंदी फिल्मों के पहले सुपर स्टार एवं काका के नाम से प्रसिद्ध स्वर्गीय राजेश खन्ना साहेब की फ़िल्म “हाथी मेरे साथी” आज भी सबके जहन में है। जिसमे वो अपने पालतू हाथी के मरने पर उसका अंतिम संस्कार पुरे विधि विधान से करते हुए उसकी याद में गमगीन होकर गाना भी गाते है कि “नफरत की दुनिया को छोड़कर प्यार की दुनिया मे खुश रहना मेरे यार” और आज भी जहाँ कही ये गाना हमे सुनाई देता है तो मनुष्यों एवं पशुओं के प्रेम की याद ताजा हो जाती है। कुछ इस तरह प्रेम सुसनेर में भी दिखाई दिया। जहाँ इतवारिया बाजार निवासी रामलाल चोधरी की पालतू गाय का निधन हो गया तो इस गाय का अंतिम संस्कार उन्होंने एवं उनके पुत्र संजय चौधरी एवं दीपक चौधरी एवम् उनके पोते प्रिंस और किट्टू सहित उनके मिलने वाले सभी साथिगनो ने मृतक गाय को सिर्फ पशु ना मानकर अपने परिवार का सदस्य माना एवं उसका अंतिम संस्कार पूरे विधि विधान से किया। गाय के अंतिम संस्कार के लिए कंठाल नदी के समीप जेसीबी से गड्ढा खुदवाकर उसका अंतिम संस्कार किया गया ।आज से 3 वर्ष पूर्व एक गाय द्वारा एक बछिया को जन्म देने के बाद गाय का निधन हो गया था उसके बाद रामलाल जी एवम् उनके परिवार के द्वारा उस एक दिन की गाय की बछिया को पाला गया था पूरा परिवार उस बछिया की सेवा करता था उस छोटी सी बछिया को बोतल से दूध पिलाया जाता था।इस तरह पूरे परिवार ने उस गाय को अपने परिवार के सदस्य की तरह पालन पोषण कर us बछिया को बड़ा किया। एक दो दिन पहले उस गाय के बीमार हो जाने पर उस गाय का इलाज परिवार के द्वारा करवाया गया पर फिर भी वो गाय बच न सकी जिसके बाद परिवार के सदस्यों के द्वारा उसका अंतिम संस्कार करवाया गया अंतिम संस्कार के दौरान परिवार के सभी सदस्य फूट फुट कर रोने लगे।