आगर मालवा – फसल बीमा कंपनी का पुतला जला कर कंपनी के खिलाफ भारतीय किसान संघ ने रैली निकालते हुए मुख्यमंत्री के नाम ज्ञापन दिया है ।
किसान संघ ने फसल बीमा कंपनी पर किसानों को छलने का आरोप लगाते हुए भारतीय किसान संघ के जिलाध्यक्ष रामनारायण तेजरा ने बताया कि पूरे प्रदेश में सिंगल क्लिक के माध्यम से 12 फरवरी 2022 को खरीफ़ 2020 एवं रबी 2020-21 की फसल बीमा दावा राशि का सिंगल क्लिक के माध्यम से प्रदेश के पात्र किसानों के खाते में राशि का अंतरण किया गया था।
लेकिन आज दिनांक तक किसानों के खाते में उनके पटवारी हल्के में हुये नुकसान के अनुपात में बहुत ही कम राशि बीमा कंपनी द्वारा डाली गई है। कहीं-कही तो एक ही पटवारी हल्के में प्रति हेक्टेयर अलग अलग राशि बीमा कंपनी द्वारा डाली जा रही है । इससे यह प्रतीत होता है कि बीमा कंपनी ने फसल बीमा राशि वितरण करने में प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना की प्रचालन मार्गदर्शिका के नियमों को ताक में रखकर अनियमितता की है।
इसी के साथ संबंधित बीमा कंपनी द्वारा आज दिनांक तक किसी भी जिले को पटवारी हल्के वार शॉर्ट फॉल रिपोर्ट (येश होल्ड उपज, वास्तविक उपज, उपज में कमी,बीमित किसान, बीमित रकबा एवं क्लेम राशि) उपलब्ध नही कराई है। इससे यह भी प्रतीत होता है कि फसल बीमा राशि वितरण करने में बीमा कंपनी ने पारदर्शिता नहीं अपनाई है इसलिये प्रदेश के किसानों में प्राप्त फसल बीमा दावा राशि को लेकर संबंधित बीमा कंपनी के प्रति आक्रोश एवं सरकार के प्रति असंतोष व्याप्त हो रहा है।
अतः उपरोक्त विषय की गंभीरता को देखते हुये भारतीय किसान संघ, मध्यप्रदेश श्रीमान से निवेदन करता है कि उक्त दोनो वर्षों की अधिसूचित फसलों के दावा राशि वितरण में पारदर्शिता लाने हेतु प्रत्येक जिले के उप संचालक कृषि कार्यालय पर पटवारी हल्के वार पूरे जिले की शॉर्ट फॉल रिपोर्ट (ग्रेश होल्ड उपज, वास्तविक उपज, उपज में कमी, बीमित किसान, बीमित रकवा एवं क्लेम राशि) चस्पा की जाए एवं एक प्रति भारतीय किसान संघ जिला इकाई को उपलब्ध कराई जावे साथ ही जिलेवार पात्र किसानों की पटवारी हल्के वार सूची भी सार्वजनिक की जावे।
यदि 7 दिनों में संबंधित बीमा कंपनी द्वारा उक्त दोनो वर्षों की अधिसूचित फसलों की शॉर्ट फॉल रिपोर्ट उपलब्ध नही कराई जाती है तो प्रदेश के किसानों के आर्थिक हितों को ध्यान में रखते हुये, भारतीय किसान संघ मध्यप्रदेश के आव्हान पर प्रत्येक जिला स्तर पर घेरा डालो, डेरा डालो आंदोलन के माध्यम से कलेक्टर कार्यालय का घेराव करने के लिये बाध्य होना पड़ेगा जिसकी समस्त जवाबदारी संबंधित बीमा कंपनी, मध्यप्रदेश सरकार एवं प्रशासन की रहेगी।
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