ब्रेकिंग
पर्यावरण संरक्षण की याचिका में स्टे मिलने के बाद। याचिकाकर्ता के भाई की दुकान हटाई नगर पालिका ने। नग... पत्रकारों की सुरक्षा के लिए बने कानून, योजनाओं का भी मिले लाभ, मजदूर दिवस पर मध्यप्रदेश श्रमजीवी पत्... लघु उद्योग भारती आगर द्वारा मनाया गया 32 वाँ स्थापना दिवस। कलेक्टर की उपस्थिति में बालिका छात्रावास... पटवारी पर लगे भूमि स्वामीत्व सम्बन्धी फर्जी दस्तावेज जारी करने के आरोप, तहसील में उपलब्ध नहीं जारी द... थाने पर दर्ज हुआ गैंगरेप का प्रकरण। निकट के रिश्तेदारों पर ही लगा महिला के साथ बलात्कार करने का आरोप आगर कलेक्टर के नाम से ठगी का प्रयास। व्हाट्सएप की डीपी पर कलेक्टर का फोटो लगाकर की जा रही रूपयों की ... पश्चिम बंगाल में हिंदुओं की प्रताड़ना से आक्रोशित विश्व हिंदू परिषद बजरंग दल आगर मालवा प्रांत ने दिया... नेशनल हेराल्ड मामला। भारतीय जनता युवा मोर्चा ने किया सोनिया गांधी, राहुल गांधी का पुतला दहन आतंक मचा रहे लाल मुंह के बंदर को पकड़ने में तीन दिनों की मेहनत के बाद आखिरकार वन विभाग को मिली सफलता।... नरवाई जलाने वाले कृषकों की पीएम किसान सम्मान निधि एवं मुख्यमंत्री किसान कल्याण निधि होगी बंद। इन किस...

आगर मालवा जिले में पंचायत चुनावो के लिए हुआ संख्यात्मक आरक्षण पूरा । आरक्षण में अनारक्षित पुरुष के लिए 1 भी सीट का उल्लेख ना होने से मचा हड़कंप

आगर मालवा-
आगर मालवा जिले में जिला पंचायत, जनपद पंचायत, ग्राम पंचायत एवं पंचों के संख्यात्मक आरक्षण की प्रक्रिया पूरी कर ली गई है ।
पूरी की गई इस आरक्षण प्रक्रिया की खास बात यह है कि इसमें आजा एवं अन्य पिछडा वर्ग के पुरुष एवं महिला की आरक्षण की व्यवस्था तो बताई गई है पर शेष बचे निर्वाचन क्षेत्रों को अनारक्षित महिला के नाम से आरक्षित दिखाया गया है जिसके बाद अधिकांश इस आदेश को लेकर अचंभित है और अब चारो ओर इस बात की चर्चा शुरू हो चुकी है कि क्या इस बार जिले में अनारक्षित पुरुष को चुनाव लड़ने का अवसर भी नही मिलेगा ?

भ्रम क्या है ?

वास्तविकता में यह सारा असमंजस्य का माहौल इसलिए बना है क्योंकि जब आदेश में उल्लेखित विभिन्न आरक्षित क्षेत्रो का टोटल किया जाता है तो वह कुल निर्वाचन क्षेत्रों के बराबर हो जाता है और अनारक्षित पुरुष के लिए इस आदेश में कोई निर्वाचन क्षेत्र का उल्लेख ना होने से प्रथम द्रष्टया यह लगता है कि अनारक्षित पुरुष के लिए कोई निर्वाचन क्षेत्र नही छोड़ा गया है ।

तो फिर वास्तविकता क्या है ?

जब इस प्रकार के प्रश्नों को लेकर गिरीश न्यूज़ द्वारा जिला पंचायत के एसीईओ जितेंद्र सेंगर से चर्चा की गई तो हमे यह स्पस्ट हुआ कि-
सारा कंफ्यूजन यह है कि जब हम आदेश में उल्लेखित क्षेत्रो को जोड़ते है तो आदेश में स्पष्ट ना होने के कारण विभिन्न वर्ग में महिला के लिए आरक्षित क्षेत्रो को भी हम कुल क्षेत्रो में जोड़ देते है पर यहां यह समझना जरूरी है कि महिलाओं के किए आरक्षित क्षेत्र वास्तव में उन क्षेत्रो में शामिल है जो उस वर्ग के लिए कुल आरक्षित क्षेत्र है ना कि अलग से है

उदाहरणार्थ

जिला पंचायत की कुल 10 सीट को ले तो जो आदेश जारी किया गया है इसमें अनुसूचित वर्ग के लिए 3 क्षेत्र, पिछड़े वर्ग के लिए 2 क्षेत्र, अनुसूचित वर्ग की महिला के लिए 2, पिछड़ा महिला के लिए 1 एवं अनारक्षित महिला के लिए 2 क्षेत्र इस प्रकार इन सभी का टोटल करेंगे तो यह कुल 10 निर्वाचन क्षेत्रो के बराबर होने से यह प्रश्न उठता है कि फिर अनारक्षित पुरुष के लिए तो कोई निर्वाचन क्षेत्र ही नही बचे है जबकि वास्तविकता यह है कि आजा और पिछड़ा वर्ग के लिए आरक्षित कुल 5 क्षेत्रो आर्थात 50% आरक्षण में से अनुसूचित वर्ग के लिए आरक्षित 3 क्षेत्रो में से 2 इसी वर्ग की महिला और पिछड़े वर्ग के लिए आरक्षित 2 क्षेत्र में से ही 1 इस वर्ग की महिला के लिए आरक्षित है ।
तथा शेष बची 5 सीट अनारक्षित है जिसमे से 2 अनारक्षित महिला के लिए आरक्षित है ।
पर चुकी आदेश में महिला आरक्षण में यह स्पस्ट नही किया गया है कि यह विभीन्न वर्गों के कुल आरक्षण में से ही दिया जा रहा है और ना ही कुल अनारक्षित सीटो का उल्लेख आदेश में किया गया है इसलिए सामान्य लोग जो आरक्षण नियमो की बारीकी से समझ नही रखते है वो कंफ्यूज हो रहे है ।
गिरीश न्यूज़ की यह सोच है कि जब चुनाव पंचायतों का है तो फिर आदेश ऐसा होना चाहिए कि उसमें एक-एक बात स्पस्ट हो और उसमें अंडरस्टेंडिंग के लिए कोई जगह ना हो, हालांकि जिम्मेदार भोपाल से ही ऐसा प्रारूप आने की बात कहते हुए उस पर ही चलना अपनी मजबूरी बता रहे है ।

O

 

Leave A Reply

Your email address will not be published.

Don`t copy text!