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13-15 अगस्त तक हर घर झंडा अभियान के तहत घर पर राष्ट्रीय ध्वज फहराने के बाद अब क्या ध्वज लगे रहने दे ? य फिर ध्वज को हम इसी तरह लगाए रख सकते है ? तो जाने भारतीय झंडा संहिता 2002 की धारा 2 जो इस संबंध में प्रावधान करती है वह हमे क्या अनुमति देती है –

भारतीय झंडा संहिता 2002 की धारा 2.2 के अनुसार 

(जानकारी 20 जुलाई 2022 को भारतीय ध्वज संहिता में हुए अंतिम संशोधन तक अपडेट)

2.2 जनता का कोई भी व्यक्ति, कोई भी गैर-सरकारी संगठन अथवा कोई भी शिक्षा संस्था राष्ट्रीय झंडे को सभी दिनों और अवसरों, औपचारिकताओं या अन्य अवसरों पर फहरा/प्रदर्शित कर सकता है। राष्ट्रीय झंडे की मर्यादा रखने और उसे सम्मान प्रदान करने के लिए निम्नलिखित बातों को ध्यान में रखा जाए:-
(i) जब कभी राष्ट्रीय झंडा फहराया जाए तो उसकी स्थिति सम्मानजनक और पृथक होनी चाहिए,
(ii) फटा हुआ या मैला-कुचैला झंडा प्रदर्शित नहीं किया जाए:
(iii) झंडे को किसी अन्य झंडे अथवा झंडों के साथ एक ही ध्वज-दंड से नहीं फहराया जाए;
(iv) संहिता के भाग-III की धारा IX में की गई व्यवस्था के सिवाय झंडे को किसी वाहन पर नहीं फहराया जाएगा;
(v) यदि झंडे का प्रदर्शन सभा मंच पर किया जाता है, तो उसे इस प्रकार फहराया जाना चाहिए कि जब वक्ता का मुंह श्रोताओं की ओर हो तो झंडा उनके दाहिनी ओर रहे अथवा झंडे को वक्ता के पीछे दीवार के साथ और उससे ऊपर लेटी हुई स्थिति में प्रदर्शित किया जाए:
(vi) जब झंडे का प्रदर्शन किसी दीवार के सहारे, लेटी हुई और समतल स्थिति में किया जाता है तो केसरिया भाग सबसे ऊपर रहना चाहिए और जब वह लम्बाई में फहराया जाए तो केसरी भाग झंडे के हिसाब से दाईं ओर होगा (अर्थात् झंडे को सामने से देखने वाले व्यक्ति के बाईं ओर);
(vii) जहां तक सम्भव हो झंडे का आकार इस संहिता के भाग-I में निर्धारित किए गए मानकों के अनुरूप होना चाहिए;
(viii) किसी दूसरे झंडे या पताका को राष्ट्रीय झंडे से ऊंचा या उससे ऊपर या उसके बराबर में नहीं लगाया जाए और न ही पुष्प, माला, प्रतीक या अन्य कोई वस्तु उसके ध्वज-दंड के ऊपर रखी जाए;
(ix) फूलों का गुच्छा या पताका या बन्दनवार बनाने या किसी अन्य प्रकार की सजावट के लिए झंडे का इस्तेमाल नहीं किया जाएगा;
(x) जनता द्वारा कागज के बने झंडों को महत्वपूर्ण राष्ट्रीय, सांस्कृतिक और खेलकूद के अवसरों पर हाथ में लेकर हिलाया जा सकता है। परन्तु ऐसे कागज के झंडों को समारोह पूरा होने के पश्चात् न तो विकृत किया जाएगा और न ही जमीन पर फेंका जाएगा। जहां तक सम्भव हो, ऐसे झंडों का निपटान उनकी मर्यादा के अनुरूप एकान्त में किया जाए;
(xi) जहां झंडे का प्रदर्शन खुले में किया जाता है, वहां मौसम को ध्यान में रखे बिना उसे सूर्योदय से सूर्यास्त तक फहराया जाना चाहिए ( 20 जुलाई 2022 में इसमें संशोधन कर इसे दिन-रात कर दिया गया है )
(xii) झंडे का प्रदर्शन इस प्रकार बांधकर न किया जाए जिससे कि वह फट जाए; और
(xiii) जब झंडा फट जाए या मैला हो जाए तो उसे एकान्त में पूरा नष्ट कर दिया जाए बेहतर होगा यदि उसे जलाकर या उसकी मर्यादा के अनुकूल किसी अन्य तरीके से नष्ट कर दिया जाए।

अर्थात राष्ट्रीय ध्वज को आप पूरी मर्यादा और नियमो के साथ अब कभी भी प्रदर्शित कर सकते है या फहरा सकते है ।

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