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आगर जिला अस्पताल में समय पर नही पहुँच रहे डॉक्टर । परेशान मरीज के परिजनों ने वीडियो बना कर किया अस्पताल के डॉक्टर और प्रशासकों की लापरवाही का खुलासा –

आगर मालवा-
आगर जिला चिकित्सालय से पिछले काफी समय से मरीजों से यह शिकायत मिल रही है कि यहां अक्सर डॉक्टर समय पर नही पहुँचते है यहां तक कि भर्ती मरीजों को देखने के लिए भी जिम्मेदार डॉक्टर पूरा-पूरा दिन का गेप कर देते है और इस दौरान इन्ही डॉक्टरों को अपने प्रायवेट क्लिनिक और निजी अस्पतालों में प्रैक्टिस करते देखा जा सकता है ।
अब इन शिकायतों के बीच ही आगर जिला अस्पताल अपने परिजनों का ईलाज कराने पहुँचे एक व्यक्ति ने आज सुबह 9.30 पर जिला अस्पताल का एक वीडियो बनाया है जो इस अस्पताल में चल रही लापरवाही की पोल खोलने के लिए काफी है ।
हम आपको बता दे कि सरकारी अस्पताल में ओपीडी का समय सुबह 9 बजे से दोपहर 2 बजे तक होता है वहीं शाम 5 से 6 का ओपीडी टाईम होता है पर पीड़ित द्वारा बनाए गए वीडियो में साफ दिखाई दे रहा है कि सुबह 9.30 तक जिला अस्पताल की ओपीडी में 2-4 नही बल्कि कोई डॉक्टर उपस्थित नही है और इस बीच वहां बैठे और वार्ड में भर्ती मरीज डॉक्टरों का बड़ी बेसर्बी से इंतजार कर रहे थे जिन्हें डॉक्टरों के खाली चेम्बर में चलते पंखे और लाईट के साथ इस आश्वासन पर संतोष करना पड़ रहा था कि बस डॉक्टर साहब अब आने वाले ही है ।
वीडियो में यहाँ भर्ती एक मरीज के परिजन तो यह तक कह रहै है कि उसके पेशेंट को 4 दिनों से किसी डॉक्टर ने आकर नही देखा है ।
अब सवाल यह है कि डॉक्टरों में इस बिंदासी का कारण क्या है ?
क्या इन्हें बोलने या इन पर कार्यवाही करने वाला कोई नही है ?
बस यही तो विडंबना है और यही इस बिंदासी का कारण भी है क्योकि जिन्हें डॉक्टरों की इस लापरवाही का संज्ञान लेना चाहिए वो खुद ही समय पर अस्पताल नही पहुंच रहे है तो अब आप समझ सकते है कि बार बार शिकायत और खुलासा होने के बाद भी सरकारी अस्पतालों में डॉक्टर की यह बिंदासी और फिर इनकी इस बिंदासी पर कोई कार्यवाही आखिर क्यो नही हो पाती है और यदि कोई कार्यवाही के लिए पहल की भी जाती है तो फिर कई बार डॉक्टरों का यह पूरा संगठन अपने आपको पीड़ित बताते हुए अक्सर मैदान में दिखाई देने लगता है ।
आशा है डॉक्टर अपने कर्तव्यों और प्रशासक अपनी अपनी जिम्मेदारी को गंभीरतापूर्वक समझते हुए गरीब मरीजो के हित मे कुछ कदम उठाएंगे वरना जो सक्षम है वो तो इन सब कारणों के चलते पहले ही सरकारी अस्पतालों से दूर है और डॉक्टर निजी अस्पतालों के नजदीक ।


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