सुप्रीम कोर्ट ने दुष्कर्म पीड़िताओं की पहचान और बयान को गोपनीय रखने को लेकर आज महत्वपूर्ण गाइडलाइंस जारी की है।
सुप्रीम कोर्ट ने अपने आदेश में कहा है कि जब तक दुष्कर्म के मामले में चार्जशीट या अंतिम रिपोर्ट दाखिल न हो, तब तक सीआरपीसी की धारा 164 के तहत दुष्कर्म पीड़िता के बयान का खुलासा किसी के सामने नहीं होना चाहिए। चीफ जस्टिस यूयू ललित और जस्टिस बेला त्रिवेदी की बेंच ने अवमानना याचिका पर सुनवाई के दौरान यह टिप्पणी की।
सर्वोच्च न्यायालय ने देशभर के हाईकोर्ट्स को यह निर्देश दिया कि वह ऐसे मामलों से जुड़े सुनवाई के नियमों में बदलाव या संशोधन करें। अवमानना याचिका दायर करने वाले याचिकाकर्ता ने आरोप लगाया था कि सीआरपीसी की धारा 164 के तहत लिया गया उसकी बेटी का बयान दुष्कर्म मामले के को ही दे दिया गया। इस मामले में कोर्ट ने सख्त टिप्पणी करते हुए इसे दुर्भाग्यपूर्ण करार दिया। हालांकि, सुप्रीम कोर्ट ने मामले में अवमानना की कार्यवाही शुरू नहीं की।
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