आगर मालवा-
आशा, उषा एवं आशा सुपरवाईजरो की आनिश्चित कालीन हड़ताल 15 मार्च से जारी है । इसी के तहत आज संगठन ने जिला पंचायत अध्यक्ष प्रतिनिधि भेरूसिंह चौहान को मुख्यमंत्री के नाम एक ज्ञापन दिया है ।
ज्ञापन में बताया गया है कि –
खेद के साथ सूचित करना पड़ रहा है कि प्रदेश में गर्भवती महिलाओं, धात्री माताओं नवजात शिशुओं के साथ साथ आम जनता की स्वास्थ्य की देखभाल में दिन रात काम कर रही प्रदेश की आशा ऊषा पर्यवेक्षकों के प्रति प्रदेश सरकार एवं राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन का रवैया बेहद संवेदनहीन रहा है। प्रदेश की हजारों आशा कार्यकर्तायें केवल 2,000 रुपये मासिक का बेहद
अल्प वेतन में काम करने के लिये विवश हैं, वह भी केन्द्र सरकार द्वारा देय है। अन्य राज्य सरकारें आशा एवं पर्यवेक्षको को वर्षों से अपनी ओर से अतिरिक्त वेतन देकर राहत पहुंचा रही है, लेकिन मध्य प्रदेश सरकार पिछले 16 वर्षों से अपनी ओर से आशा ऊषा पर्यवेक्षकों को कुछ भी नही दे रही है। सरकार की इस रवैये से प्रदेश की आशा ऊषा एवं पर्यवेक्षक बेहद आहत है।
सरकार के इस रवैया के खिलाफ, न्यायपूर्ण वेतन की मांग को लेकर प्रदेश की आशा ऊषा पर्यवेक्षक लगातार संघर्ष में है लेकिन सरकार उनकी न्यायपूर्ण मांग की लगातार अनदेखी कर रही हैं। प्रदेश के बजट से और कर्ज लेकर भी विभिन्न मदों में हजारों हजार करोड रुपये खर्च करने वाली राज्य सरकार, स्वास्थ्य विभाग के अभियान में अति महत्वपूर्ण भूमिका निभाने वाली आशा ऊषा पर्यवेक्षकों के परिवार की जिन्दगी का लगातार उपेक्षा कर रही है।
प्रदेश सरकार के इस अमानवीय रवैया से त्रस्त हो कर प्रदेश की बहुमत आशा ऊषा पर्यवेक्षको का प्रतिनिधित्व करने वाला आशा ऊषा आशा सहयोगी संयुक्त मोर्चा द्वारा 15 मार्च 2023 से प्रदेश व्यापी अनिश्चितकालीन काम बंद हडताल का निर्णय लेकर 27 फरवरी को शासन को सूचना प्रेषित किया था, फिर भी सरकार की ओर से कोई कदम नहीं उठाया जाना आश्चर्यजनक हैं। इस हड़ताल से प्रदेश की मैदानी स्वास्थ्य सेवायें बुरी तरह प्रभावित होगी वहीं प्रदेश की आशा ऊषा पर्यवेक्षकों को भी आर्थिक नुक्सान का सामना करना पडेगा। शासकीय अधिकारियों के अधीन एवं देखरेख में काम कर रही आशा ऊषा पर्यवेक्षक को सरकार कर्मचारी माने न माने, लेकिन सच्चाई यह है कि प्रदेश की वे कर्मचारी के रूप में काम कर रही है, और कर्मचारी के रूप में सरकार और विभाग उनसे काम ले रही है। इस तरह इस काम के एवज में न्यूनतम वेतन का भुगतान सुनिश्चित करने का नैतिक एवं वैधानिक जिम्मेदारी सरकार की है। इस वैधानिक जिम्मेदारी को पूरा कर न्यायपूर्ण वेतन दिये जाने की मांग को लेकर हो रही इस हडताल की सम्पूर्ण जिम्मेदारी राज्य सरकार एवं राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन की है।
अतः आशा ऊषा आशा सहयोगी संयुक्त मोर्चा के आह्वान पर आज 15 मार्च 2023 को प्रदेश व्यापी अनिश्चितकालीन काम बंद हडताल प्रारम्भ करते हुये आप से पुनः आग्रह करती है कि निम्न मांगों का निराकरण करते हुये प्रदेश के स्वास्थ्य अभियानों को सामान्य बनाने में पहल किया जावे :-
मुख्य मांगें-
मिशन संचालक, एन.एच. एम. मध्य प्रदेश द्वारा 24 जून 2021 को दिये निर्णय को लागू कर आशा को 10,000 रु एवं पर्यवेक्षकों को 15,000 रुपये निश्चित वेतन दिया जावे, उसे उपभोक्ता मूल्य सूचकांक से जोड़ा जावे।
आशा, ऊषा, आशा पर्यवेक्षकों को कर्मचारी के रूप में नियमित किया जावे, तब तक न्यूनतम वेतन, भविष्य निधि, ई.एस.आई., ग्रेच्युटी, पेंशन सहित सामाजिक सुरक्षा लाभ दिया जावे। न्यूनतम वेतन 26,000 रुपये निर्धारित किया जावे।
अन्य मांगें आशाओं की प्रोत्साहन राशि के भुगतान में पारदर्शिता सुनिश्चित किया जावे। प्रोत्साहन राशि में अनुचित कटौती को रोका जावे। प्रत्येक आशा से अब तक काटी गयी सभी राशियों का एरियर सहित भुगतान किया जावे।
आशाओं के द्वारा की गयी कोविड वैक्सीनेशन ड्यूटी, डी पी टी बूस्टर वैक्सीन, एनसीडी सर्वे, परिवार नियोजन, निर्वाचन कार्य सहित सभी कामों का बकाया प्रोत्साहन राशि का भुगतान किया जावे।
प्रत्येक माह की 5 तारीख को आशा एवं पर्यवेक्षकों का भुगतान सुनिश्चित किये जाने हेतु ठोस उपाय किया जावे।
आशाओं से बंधुआ मजदूरों जैसे व्यवहार को रोका जावे। आशा एवं पर्यवेक्षकों के लिये विभाग द्वारा निर्धारित कार्य के अलावा अन्य कार्य नहीं कराया जावे।
आशाओं की सभी मीटिंगों एवं पर्यवेक्षकों के वास्तविक यात्रा व्यय का भुगतान किया जावे।
आशा एवं पर्यवेक्षकों को वेतन सहित 20 आकस्मिक अवकाश दिया जावे एवं मेडिकल लीव का ठोस नियम बनाया जाये।
आशा एवं पर्यवेक्षको को शासन के कुशल श्रेणी के न्यूनतम वेतन की दर पर 6 माह का मातृत्व अवकाश एवं अन्य सुविधायें दी जावे।
बिना किसी जांच के आशाओं की सेवा समाप्ति पर तुरंत रोक लगायी जावे। विगत एक वर्ष में निष्क्रिय आशा बताकर आशाओं की, की गयी सेवा समाप्ति की जांच कराई जावे एवं जबरन अनुचित तरीके से सेवा समाप्त की गयी सभी सक्रिय आशाओं को बहाल किया जावे।
पेंशन एवं सेवानिवृत्त लाभ लागू किये बिना आशा एवं पर्यवेक्षकों को सेवानिवृत्त न किया जावे।
ड्यूटी के दौरान आशा कार्यकर्ताओं की सुरक्षा सुनिश्चित किया जावे।
सभी पीएचसी, सीएचसी और अस्पतालों में सुरक्षित एवं सुविधायुक्त ‘आशा रूम’ उपलब्ध कराया जावे।
पीओएसएच कानून लागू किया जाये एवं शिकायतों पर कार्यवाही सुनिश्चित किया जावे।
स्वास्थ्य के लिये सकल घरेलू उत्पाद का 6 प्रतिशत राशि आवंटित किया जावे। स्वास्थ्य सेवाओं (सरकारी अस्पतालों) सहित सभी बुनियादी सेवाओं के निजीकरण को रोका जावे।
श्रम संहिताओं को वापस लिया जावे। आशा एवं पवेक्षकों को श्रम कानूनों के दायरे में शामिल किया जावे।
इस दौरान रेखा अजमेरा, श्रीमति नर्मदा सोनानिया, श्रीमति पवित्रा चंदेल, श्रीमति रेखा चौहान, श्रीमति शोभा दुबे, गिरिजेश यादव, श्रीमति सीमा सूर्यवंशी, जयनंदा गोस्वामी, कल्पना मागेर, श्रीमति धापू भिलाला, ज्योति पाटीदार, कनीजा बी आदि कार्यकर्ता उपस्थित रहै-
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