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सुसनेर अनुविभागीय अधिकारी आदि पर फिर लटकी 2 करोड़ से अधिक के कुर्की वारंट जारी होने की तलवार । कभी भी जारी हो सकता है कुर्की वारंट । हाईकोर्ट के बाद अब सुप्रीम कोर्ट ने भी की मप्र शासन की अपील खारिज

आगर मालवा-

जिले के सुसनेर अनुविभागीय अधिकारी एवं कार्यपालन यंत्री कुंडालिया बांध पर 2,09,19020/- ( 2 करोड़, नो लाख, उन्नीस हजार बीस ) रु. से अधिक की वसूली के लिए अब जल्द ही कुर्की की कार्यवाही शुरू हो सकती है क्योंकि अपर जिला न्यायाधीश सुसनेर के आदेश के बाद पीड़ित किसानों ने कुर्की हतु तलवाना अपर जिला न्यायलय सुसनेर में प्रस्तुत किया था ।

उसके बाद मप्र शासन ने जिला न्यायालय के इस आदेश के खिलाफ हाइकोर्ट इंदौर में अपील की थी जिसके बाद 6 फरवरी 2023 को हाईकोर्ट इंदौर ने इस अपील को निरस्त कर अपर जिला न्यायालय सुसनेर के आदेश को यथावत रखा था । इसके बाद मप्र शासन ने हाईकोर्ट के इस आदेश के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में अपील की थी । इस अपील को भी माननीय सर्वोच्च न्यायालय द्वारा 14/7/2023 को बेस लेस बताते हुए निरस्त कर दिया गया है ।
दरअसल यह सारी कार्रवाही सुसनेर अपर जिला न्यायाधीश और हाइकोर्ट इंदौर बेंच के स्पस्ट फैसले के बाद भी बेवजह अभी तक कुंडालिया बांध क्षेत्र में डूब में आए 2 किसानो के फलदार वृक्षो का मुआवजा राशि ना देने पर सामने आ रही है जिसमे समय पर राशि के भुगतान ना करने से भारी भरकम ब्याज की राशि भी शामिल है और समय के साथ इस ब्याज राशि की गणना बढ़ती जा रही है । अपर जिला न्यायालय सुसनेर ने पीड़ित किसानो की शेष बची राशि पर भूमि अधिग्रहण दिनांक से 1 वर्ष तक 9 प्रतिशत प्रतिवर्ष का ब्याज और उसके बाद 15 प्रतिशत प्रतिवर्ष का ब्याज देने हेतु आदेशित किया था । अब पूरे प्रकरण में खास बात यह है कि आखिर शासन को मूल राशि से 1 करोड़ से भी अधिक के ब्याज का जो भारी भरकम राशि का भुगतान किसानों को करना पड़ेगा उसके लिए किसे जिम्मेदार ठहराया जाएगा ?

यह है पूरा मामला-

कुंडालिया बांध हेतु भू-अधिग्रहण के तहत 2 किसानो रामकुंवर पत्नी बनैसिंह और गिरिराज पिता बनैसिंह निवासी ग्राम गोठड़ा तह नलखेड़ा को सुसनेर राजस्व विभाग द्वारा डूब में आई भूमि पर लगे फलदार वृक्षो का मुआवजा आंकलन 17/10/2017 के दिशा निर्देशों के अनुसार किसानों को क्रमशः 21,30,000/- रु. एवं 20,44,000/- रु किया गया था जिससे व्यथित होकर पीड़ित किसानों ने इस आदेश के खिलाफ एक सिविल सूट अपर जिला न्यायधीश सुसनेर की कोर्ट में अधिवक्ता देवेंद्रसिंह चौहान के मार्फत लगाते हुए फलदार वृक्षो का मुआवजा शासन की गाईड लाईन दिनांक 2/4/2017 से देने का निवेदन माननीय नयायधीश से किया था ।
व्यथित किसानो ने अपने दावे में बताया था कि मुआवजे के सम्बंध में जो कार्रवाही की गई है वह 2/4/2017 के पूर्व की गई है इसलिए उन्हें यह मुआवजा 2/4/2017 की गाईड लाइन के अनुसार दिया जाना चहिए ना कि 17/10/2017 की गाईड लाईन के अनुसार ।
अपर जिला न्यायाधीश ने पीड़ित किसानो के अधिवक्ता देवेंद्रसिंह चौहान के तर्कों से सहमत होते हुए दिनांक 14/9/2021 को एक आदेश पारित कर अनुविभागीय अधिकारी सुसनेर और कार्यपालन यंत्री कुंडालिया बांध को पीड़ित किसानो को 02/4/2017 की गाईड लाईन के हिसाब से उद्यान विभाग द्वारा गठित दल द्वारा की गई गणना के अनुसार क्रमशः 88, 31,000/- एवं 43,98,000/- रु देने एवं साथ ही पीड़ित किसानो की शेष बची राशि पर भूमि अधिग्रहण दिनांक से 1 वर्ष तक 9 प्रतिशत प्रतिवर्ष का ब्याज और उसके बाद 15 प्रतिशत प्रतिवर्ष का ब्याज देने हेतु आदेशित किया था ।
इस आदेश से असंतुष्ट होकर सुसनेर अनुविभागीय अधिकारी और कार्यपालन यंत्री कुंडालिया बांध द्वारा इंदौर की हाइकोर्ट बेंच में अपील की गई जिस पर इंदौर हाइकोर्ट ने भी दिनांक 6 फरवरी 2023 को किसानो के पक्ष में फैसला देते हुए अनुविभागीय अधिकारी आदि की इस अपील को खारिज कर दिया ।
हाईकोर्ट द्वारा दिए गए इस आदेश के बाद भी और अपील की अवधि निकल जाने के बाद भी किसानो को अभी तक भुगतान ना मिलने से पीड़ित किसानों ने अपर जिला नयायाधीश सुसनेर को अवगत कराते हुए इस राशि की मांग की थी जिसके बाद दिनांक 17/4/2023 को अपर जिला नयाधिश सुसनेर ने पीड़ित पक्ष को अनुविभागिय अधिकारी सुसनेर आदि पर कुर्की वारंट जारी करने हेतु तलवाना प्रस्तुत करने हेतु निर्देशित किया था जिस पर पीड़ित पक्ष द्वारा दिनांक 19/4/2023 को पीड़ित किसान रामकुवारबाई द्वारा उन्हें वसूली योग्य पाई गई राशि पर ब्याज के साथ कुल 1,54,99332/- रु एवं पीड़ित किसान बनैसिंह द्वारा कुल राशि 54,19,688/- रु इस तरह कुल 209,19020/- रु की वसूली हेतु तलवाना प्रस्तुत कर दिया गया था जिसके बाद अब अपर जिला न्यायालय द्वारा कभी भी अनुविभागिय अधिकारी सुसनेर आदि पर कुर्की वारंट जारी किया जा सकता था पर इसके पूर्व ही मप्र शासन, सुसनेर अनुविभागीय अधिकारी और कार्यपालन यंत्री कुंडालिया बांध द्वारा इंदौर की हाइकोर्ट बेंच इंदौर के आदेश के खिलाफ एक अपील सुप्रीमकोर्ट में प्रस्तुत की गई और दिनांक 14/7/2023 को सुप्रीमकोर्ट ने भी इस अपील को बेसलेस मानते हुए निरस्त कर दिया है जिसके बाद अब कभी भी सुसनेर अनुविभागीय अधिकारी और कार्यपालनयंत्री कुंडालिया बांध के खिलाफ कुर्की की कार्रवाही शुरू की जा सकती है ।

” विचारणीय यह भी “

अब पूरे प्रकरण में सबसे विचारणीय तथ्य यह है कि हाईकोर्ट के स्पस्ट आदेश के बाद भी पीड़ित किसानो को भुगतान में हुई बेवजह की देरी जिसके कारण शसान पर भारी भरकम 1 करोड़ से भी अधिक के ब्याज का भार आ रहा है के लिए आखिरकार जिम्मेदार कौन है ?

शासकीय, प्रशासनिक कार्यप्रणाली  या फिर किसी अधिकारी की गंभीर लापरवाही ?

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