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समलैंगिग विवाह को मान्यता देने के खिलाफ सांस्कृतिक रक्षा मंच की बहनों ने राष्ट्रपति एवं सुप्रीमकोर्ट के नाम कलेक्टर को दिया ज्ञापन

आगर मालवा-
समलैंगिग विवाह को मान्यता देने संबंधी याचिकाओं पर सुप्रीमकोर्ट में चल रही सुनवाई के दौरान सुप्रीमकोर्ट और केंद्र सरकार के बीच अपने-अपने अधिकारों को लेकर खींचतान मची हुई है । इस दौरान देश मेके कई सामाजिक संगठन भी राष्ट्रपति और सर्वोच्च न्यायालय के नाम इस विवाह को मान्यता देने के खिलाफ अपना ज्ञापन सोप रहे है ।
इसी कड़ी में आगर मालवा जिले के सामाजिक संगठन सांस्कृतिक रक्षा मंच की बहनों ने बड़ी संख्या में उपस्थित होकर राष्ट्रपति और सर्वोच्च न्यायालय के नाम 2 अलग-अलग ज्ञापन कलेक्टर कार्यालय पहुँचकर कलेक्टर कैलाश वानखेड़े को दिए है ।
अपने ज्ञापन में इस संगठन ने समलैंगिग विवाह जैसे सामाजिक मुद्दे को विधायिका का विषय बताते हुए सुप्रीमकोर्ट द्वारा सुनवाई के दौरान दिखाई जा रही आतुरता पर कई तरह के प्रश्न चिन्ह लगाए है ।
संगठन का कहना है कि समलैंगिग विवाह प्रकृति के खिलाफ है वहीं धर्मो में एक जैविक पुरुष एवं एक जैविक स्त्री के विवाह को ही मान्यताएं दी गई है ऐसे में यदि भारत जैसे देश मे यदि समलैंगिग विवाह को मान्यता दी गई तो इससे देश का पूरा सामाजिक ताना बाना खतरे में पड़ जाएगा इसलिए सुप्रीमकोर्ट इस विषय पर कोई निर्णय ना करते हुए इस पर विधायिका को निर्णय करने दे ।
हम आपको बता दे कि सुप्रीमकोर्ट में इस विषय पर चल रही सुनवाई के दौरान केंद्र सरकार ने इसे विधायिका का मामला बताया है जबकि सुप्रीमकोर्ट का कहना है कि वह इस मामले में सुनवाई कर उचित निर्णय पारित करने में सक्षम है और इन्ही विरोधाभासों के बीच अब देश के कुछ सामाजिक संगठन भी सामने आकर समलैंगिक विवाह को मान्यता ना देने का निवेदन अपने ज्ञापन के माध्यम से राष्ट्रपति और सर्वोच्च न्यायालय से कर रहे है ।

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