आगर मालवा जिले के लोकसेवा केंद्रों की टेंडर प्रक्रिया अटकी । पूरे प्रदेश की टेंडर प्रक्रिया पर पड़ सकता है इसका असर । हाईकोर्ट इंदौर ने पिटीशन पर सुनवाई के दौरान दिया अंतरिम आदेश –
आगर मालवा-
आगर मालवा जिले के लोकसेवा केंद्रों की टेंडर प्रक्रिया इनके पूर्ण होने के पहले ही अटक गई है । इंदौर हाईकोर्ट ने पिटीशन क्रमांक 23221/2023 की सुनवाई करते हुए आज एक अंतरिम आदेश जारी किया है जिसके अनुसार अब रिस्पॉडेन्ट मुख्य सचिव लोकसेवा प्रबंधन मप्र शासन, कार्यपालक निदेशक राज्य लोकसेवा केंद्र, कलेक्टर आगर मालवा एवं सीईओ ई गवरनेंस सोसायटी जिला आगर मालवा को निर्देशित किया है कि रिस्पॉडेन्ट द्वारा लोकसेवा केंद्रों के लिए की जा रही टेंडर प्रक्रिया इस पिटीशन के अंतिम निपटारे के अधीन होगी । ऐसे में अब जब तक कि इस पिटीशन का अंतिम नीराकरण नही हो जाता तब तक रिस्पॉडेन्टस द्वारा इस टेंडर प्रक्रिया को बढ़ाना उनके लिए कई प्रकार की मुश्किलों को खड़ा कर सकता है क्योंकि इस आदेश के बाद भी यदि टेंडर प्रक्रिया को आगे बढ़ाया गया और यदि पिटीशन का निष्कर्ष रेस्पोडेन्टस के खिलाफ आया तो फिर रिस्पॉडेन्टस को कई अन्य प्रकार के सवालों का जबाव देना होगा जो कई प्रकार की परेशानियों का बढ़ाने वाला होगा ।
दरअसल दिनांक 8/9/2023 को इंदौर हाईकोर्ट में 3 परिवादिगण फर्म लक्की मोबाईल, नागेश्वर ट्रेडर्स और नेशनल मेडिकल स्टोर्स जिन्होंने आगर मालवा जिले की आरएफपी दिनांक 5/6/2023 के अनुसरण में जिले के पांचों लोकसेवा केंद्र आगर, सुसनेर, नलखेड़ा, बडौद एवं सोयत के लिए टेंडर प्रक्रिया में आवेदन किया था और जिन्हें इन टेंण्डर प्रक्रिया के लिए बनाई गई समिति द्वारा दिनांक 21/8/2023 को प्रकाशित पहली पात्रता सूची में पात्र बताया गया था और नियमानुसार सूची प्रकाशन के बाद दावे आपत्ति के लिए निर्धारित 2 दिनों में कोई आपत्ति भी इनके खिलाफ नही आई थी पर उसके बाद समिति ने दिनांक 24/8/2023 को अचानक एक निर्णय लेते हुए टेंडर प्रक्रिया में आए सभी आवेदनों की पुनः जांच करने का निर्णय लिया ओर फिर दिनांक 5/9/2023 को पात्रता की द्वतिय सूची का प्रकाशन कर उसमें पहली सूची में पात्र पाए गए कई निविदाकारों को अपात्र कर दिया तो वहीं अपात्र किए गए कई निविदाकारों को पात्र कर दिया । इन सब मे सबसे बड़ा विषय यह रहा कि प्रथम सूची दिनांक 21/8/2023 के प्रकाशन के बाद तो आरएफपी के नियमानुसार निविदाकारों को दावे, आपत्ति के लिए 2 दिन का समय दिया गया पर जब समिति ने समस्त फर्मो की पुनः जांच कर दिनांक 5/9/2023 को द्वतिय सूची का प्रकाशन किया तो फिर आरएफपी के नियम के अनुसार इस सूची से पीड़ित निविदाकारो को दावे आपत्ति के लिए कोई समय नही दिया गया और ना ही आरएफपी की कंडिका 2.15.4 का पालन किया गया जिसके अनुसार पात्रता सूची के प्रकाशन एवं वित्तीय निविदा के खोले जाने के बीच कम से कम 5 दिन का अंतराल रखना था क्योंकि समिति द्वारा पात्र निविदाकारों की सूची का प्रकाशन दिनांक 5/9/2023 को किया गया और उसके ठीक 2 दिन बाद ही दिनांक 8/3/2023 को वित्तीय निविदाओं को खोल दिया गया जो कि आरएफपी कंडिका 2.15.4 नियम के खिलाफ था ।
वहीं समिति द्वारा जो द्वतिय पात्रता सूची का प्रकाशन किया गया था उसमें पिटीशन फर्म लक्की मोबाईल, नागेश्वर ट्रेडर्स और नेशनल मेडिकल को इस आधार पर अपात्र बताया गया कि इनके पास मान्य जीएसटी पंजीकरण संख्या नही है और ना ही इनके पास एमएसएमई पंजीकरण के तहत वैध इन्टीटी प्रमाणपत्र है ।
बस इसी तथ्यों को आधार बनाकर पेटीशनर्स ने इंदौर हइकोर्ट में पिटीशन प्रस्तुत कर न्याय दृष्टांत के रूप में इसी कोर्ट की एक अन्य पिटीशन डब्ल्यू.पी. 14873/2023 का न्याय दृष्टांत प्रस्तुत करते हुए बताया कि इसी न्यायालय ने इसी प्रकार के एक प्रकरण मे रिस्पॉडेंटगण को नोटिस जारी करते हुए टेंडर प्रक्रिया में यथा स्थिति का अंतरिम आदेश पारित किया है।
पिटीशन में पिटीशनर के अधिवक्ता ने माननीय हाईकोर्ट को बताया कि-
याचिकाकर्तागण जिला आगर मालवा में लोक सेवा केंद्र की स्थापना, संचालन और रखरखाव के लिए उत्तरदाताओं द्वारा जारी प्रस्ताव के लिए अनुरोध (आरएफपी) की शर्त से व्यथित है।
याचिकाकर्ता के वकील का कहना है कि पहले 5/6/2023 को जारी आरएफपी में फर्मो के लिए जीएसटी का पंजीकरण अनिवार्य नहीं था लेकिन दिनांक 13/6/2023 को एक शुद्धिपत्र जारी कर इसे अनिवार्य बना दिया गया है साथ ही इसमें कहा गया कि यह पंजीयन आरएफपी के प्रकाशन से पहले की तारीख का होना चाहिए।
याचिकाकर्ता के वकील का कहना है कि याचिकाकर्ता फर्म का कुल कारोबार 20 लाख रुपये से कम है और इसलिए, जीएसटी अधिनियम, 2017 की धारा 22 के अनुसार उसका पंजीकरण अनिवार्य नहीं है। जीएसटी एक्ट की धारा 22 में भी लिखा गया है कि फर्म का टर्नओवर यदि 20 लाख से अधिक है तब वह जीएसटी में पंजीकृत होने के लिए उत्तरदायी होगी।
वही राज्य के वकील ने इस तर्क पर जवाब प्रस्तुत करने के लिए माननीय कोर्ट से समय की प्रार्थना की हैं ।
इस तरह दोनों पक्षों के अधिवक्ताओं को सुनने के बाद माननीय हइकोर्ट ने रिस्पॉडेन्टगणों को नोटिस जारी कर इसका जवाब मांगा है साथ ही अंतरिम आदेश जारी करते हुए रिस्पॉडेन्ट द्वारा आगर मालवा जिले के लोकसेवा केंद्रों में जारी टेंडर प्रक्रिया को इस पिटीशन के अंतिम नीराकरण के अधीन होने सम्बन्धी अंतरिम आदेश पारित किया है जिसके बाद यह टेंडर प्रक्रिया अब खटाई में पड़ती दिखाई दे रही है ।