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उचित प्लानिंग के अभाव में जिले में आयोजित हो रहे पुस्तक मेले बनें महज औपचारिकता। पुस्तक मेले में एक भी पुस्तक और यूनिफॉर्म नहीं आई बिकने। मेले में पहुंचे अभिभावक हुए निराश

आगर मालवा- निजी स्कूलों द्वारा पुस्तक और यूनिफॉर्म में चलाई जा रही मोनोपोली तथा कमीशनखोरी के खेल को बंद करने की मंशा से राज्य शासन ने प्रदेश के सभी जिले में तीन दिवसीय पुस्तक मेले का आयोजन करने के लिए निर्देशित किया था।
इस निर्देशानुसार आगर मालवा जिले में भी ब्लॉक स्तरीय पुस्तक मेलो का आयोजन किया जा रहा है।
पर जब हमारी टीम आगर ब्लॉक के दरबार कोठी में आयोजित पुस्तक मेले में पहुंची तो यहां पहुंचने वाले अभिभावक काफी निराश नजर आए क्योंकि इस मेले में एक भी स्कूल की कोई पुस्तक या यूनिफॉर्म बिकने के लिए नहीं आई है । मेले में मात्र दो विक्रेता ही कुछ कॉपियां, A4 साइज के कागज के पैकेट और कुछ पेन पेंसिल लेकर पहुंचे हुए है ।
जब इस बारे में हमने ब्लॉक शिक्षा अधिकारी मनोहर चौहान से बात की तो उन्होंने बताया कि इस मेले में आने के लिए हमने स्थानीय पुस्तक विक्रेताओं से संपर्क किया था पर अभी तक सिर्फ दो ही विक्रेता मेले में पहुंचे हैं वही विक्रेताओं ने बताया कि उन्हें किसी भी स्कूल की तरफ से किसी भी तरह की पुस्तको की कोई सूची प्राप्त नहीं हुई है इस कारण वे सिर्फ कॉपी पेन पेंसिल आदि लेकर ही इस मेले में आए हैं और कोई पुस्तक लेकर नहीं आ सके है।
ऐसे में अब सबसे बड़ा सवाल उठता है कि आखिर इस तरह पुस्तक मेला लगाने की शासन की मंशा क्या थी ? और क्या वह इस तरह के पुस्तक मेलों से वास्तव में पूरी हो पा रही है ?

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