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नरवाई जलाने वाले कृषकों की पीएम किसान सम्मान निधि एवं मुख्यमंत्री किसान कल्याण निधि होगी बंद। इन किसानों पर गिरी गाज। जानें नरवाई जलाने से क्या-क्या होता है नुकसान और इससे कैसे बचे ?

आगर- मालवा-

 खेतों में नरवाई ना जलाने के लिए सतत जारी जन जागरण अभियान के बाद भी कुछ किसान अभी भी नरवाई जलाने से बाज नहीं आ रहे हैं जिसके चलते आगर मालवा जिला कलेक्टर राघवेन्द्र सिंह के निर्देशानुसार कृषि विभाग एवं राजस्व विभाग के अमले द्वारा नरवाई जलाने वाले कृषकों के खेतों का मौका मुआयना कर पंचनामा तैयार किये गये है ।

     तहसील आगर के ग्राम जमुनिया में दिलीपसिंह पिता चंदरसिंह, नरेन्द्र कुमार पिता अमृतलाल, श्रीमती सूरजबाई पति अमृतलाल, सुमेर कुमार पिता अमृतलाल एवं शिवनारायण पिता अमृतलाल के खेतो में नरवाई जलाई गई। इसी प्रकार तहसील सुसनेर ग्राम परसुलिया खुर्द के कृषक शम्भुलाल पिता भंवरलाल यादव, रामनिवास पिता शिवलाल यादव, गोपाल पिता दरियाव शर्मा एवं कृषक मांगीलाल पिता अमराजी ग्राम नांदना के खेतो में नरवाई जलाई गई। बडौद तहसील के ग्राम देवली व उमरपुर में नरवाई जलाने वाले शिवनारायण पिता अमरा जी, बलवानसिंह पिता बलवंत सिंह, सुन्दर बाई पति चन्दरसिंह, पदमाबाई पति भगवानसिंह, नाथुचन्दर पिता बापू एवं बालुसिंह पिता हीरालाल ग्राम गढी के कृषक मुन्नाबाई पति भुवानसिंह, ईश्वरसिंह पिता करणसिंह एवं अर्जुन पिता भुवानसिंह, ग्राम ककडेल के कृषक चैन सिंह, कंचन बाई, शिव सिंह, नारायण सिंह, महेंद्र सिंह, के खेतो में नरवाई जलाई गई। विकासखण्ड नलखेडा में दर्ज प्रकरण कृषक रफीक खांन पिता बशीर खांन एवं रहीम खांन पिता बशीर खांन निवासी डोकरपुरा एवं ग्राम बोरखेडी के कृषक राजेश कुमार पिता कैलाश जैन एवं लालकुंवर पिता कुमेरसिंह के खेतो में नरवाई जलाई गई । जिले के समस्त कृषको जिनके द्वारा नरवाई जलाई गई है उन कृषको की प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि राशि 6000 एवं मुख्यमंत्री किसान कल्याण निधि राशि 6000 रोकने की कार्यवाही की जावेगी। सेटेलाइट द्वारा निगरानी एवं कृषि तथा राजस्व विभाग के अधिकारियों द्वारा क्षेत्र भ्रमण कर नरवाई जलाने वाले कृषको की पहचान की जा रही है जिन कृषको द्वारा अपने खेतो में नरवाई जलाई गई है उनके विरुद्ध इस प्रकार की कार्यवाही निरंतर जारी रहेगी, जानकारी उपसंचालक कृषि श्री विजय चौरसिया द्वारा दी गई।

 हम आपको बता दें कि खेतों में नरवाई जलाना पर्यावरण और मिट्टी के लिए हानिकारक है. इसे रोकने के लिए सरकार ने कड़े कदम उठाए हैं।

नरवाई जलाने के नुकसान: 

इससे मिट्टी की उर्वरा शक्ति कम होती है.

मिट्टी का तापमान बढ़ने से मिट्टी सख्त हो जाती है.

इससे मिट्टी में कार्बन की मात्रा कम हो जाती है.

इससे मिट्टी की जल धारण क्षमता कम हो जाती है.

इससे लाभदायक मित्र कीट नष्ट हो जाते हैं.

इससे भूमि में अम्लीयता बढ़ती है.

इससे सूक्ष्म जीवाणुओं की सक्रियता घटने लगती है.

इससे ग्लोबल वार्मिंग जैसे वायु प्रदूषण तेज़ी से बढ़ता है.

नरवाई जलाने से बचाने के लिए, आप ये उपाय अपना सकते हैं: 

नरवाई को खेत से अलग करके, भू-नाडेप, डीकम्पोजर, और वर्मी कम्पोस्ट से जैविक खाद बनाए।

रोटावेटर, कल्टीवेटर, या डिस्क हैरो की मदद से नरवाई को मिट्टी में मिला दें।

स्ट्रा रीपर मशीन से फसल काटने पर, पशुओं के लिए भूसा मिलता है और खेत के लिए पोषक तत्व मिलते हैं।

सुपर सीडर या हैप्पी सीडर की मदद से फसल काटने के बाद, बचे हुए अवशेषों का प्रबंधन करें।

नरवाई जलाने से होने वाले प्रदूषण को कम करने के लिए, कृषि के विविधीकरण को अपनाएं।

बायोमास गोलियां बनाएं।

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