निर्वाचन एवं प्रशासनिक कार्रवाही में लापरवाही की पराकाष्ठा का मामला। सरपंच ने बिना जाति प्रमाण पत्र दिए ही कर ली 33 माह सरपंचाई। अब मिल रही जानकारी सरपंच के पास पात्रता वाली जाति का प्रमाण पत्र ही नहीं है उपलब्ध। निर्वाचन के समय हुई शिकायत पर भी नहीं दिया अधिकारियो नें गंभीरता पूर्वक ध्यान-
आगर मालवा –
जिले की नलखेड़ा जनपद के ग्राम पंचायत ताखला में निर्वाचन कार्य एवं प्रशासनिक लापरवाही का एक अनोखा मामला सामने आया है। जहां निर्वाचित हुई महिला सरपंच को बने हुए करीब 33 माह का समय हो गया है पर अभी तक प्रशासन द्वारा उनसे जाति प्रमाण पत्र प्राप्त नहीं किया गया है। अब जो तथ्य सामने आ रहे हैं उसके अनुसार निर्वाचित हुई महिला के पास वास्तव में इस तरह का कोई जाति प्रमाण पत्र उपलब्ध नहीं है जिसके आधार पर वह निर्वाचित हुई है।
जबकि इस महिला उम्मीदवार के खिलाफ नामांकन भरने के बाद से ही शिकायतों का दौर चालू है पर फिर भी प्रशासनिक लापरवाही का आलम यह है कि अभी तक इस पर कोई ठोस कार्रवाई सामने नहीं आई है।
हम आपको बता दें कि वर्ष 2022 में हुए पंचायत चुनाव के दौरान नलखेड़ा जनपद की पंचायत ताखला में सरपंच पद अनुसूचित जन जाति महिला के लिए आरक्षित हुआ था। उस समय इस पंचायत में आशाबाई एक मात्र आदिवासी महिला थी और ऐसा माना जा रहा था कि सरपंच पद पर आशाबाई निर्विरोध निर्वाचित हो जाएगी पर उसी दौरान ग्राम पंचायत ताखला में ब्याह कर आई पूनम बाई पति रामचंद्र नें अपने नामांकन के साथ एक शपथ पत्र प्रस्तुत करते हुए अपने आपको भील जाती का बताते हुए अनुसूचित जनजाति कैटेगरी में नामांकन दाखिल कर दिया और उसी समय अन्य उम्मीदवार आशाबाई नें पूनमबाई के जाति प्रमाण पत्र को लेकर एक आपत्ति अपील अधिकारी एसडीएम सुसनेर को प्रस्तुत की थी पर बताया जा रहा है कि उस समय तत्कालीन एसडीएम ने इस आपत्ति का विधिवत निराकरण नहीं किया और नाही रिटर्निंग अधिकारी ने मतदान के पूर्व तक पूनमबाई का जाति प्रमाण पत्र उनसे लिया जो कि नियमानुसार लेना अनिवार्य था।
इसके बाद पंचयात में सरपंच पद के लिए संपन्न हुए चुनाव में पूनमबाई विजयी हुई।
गिरीश न्यूज़ नें जब इस मामले में पड़ताल की तो अभी तक जो सामने आया है उसके अनुसार निर्वाचन के समय तक पूनम बाई का मध्य प्रदेश में कोई जाति प्रमाण पत्र नहीं बना था क्योंकि पूनमबाई का जन्म महाराष्ट्र में हुआ है और उनके पास महाराष्ट्र में भील जाति का प्रमाण पत्र जरूर है और इसके बाद वे ग्राम पंचायत ताखला के रामचंद्र जो पिछड़ा वर्ग से बताए जा रहे है से विवाह कर ग्राम ताखला आ गई ।
इस संबंध में जब गिरीश न्यूज़ नें पूनमबाई के पति रामचंद्र से चर्चा की तो उन्होंने बताया कि उनके पास पूनम बाई का जाति प्रमाण पत्र था और उनके द्वारा नामांकन के समय पेश किया गया होगा और जब हमने उनसे कहा कि आप वह जाति प्रमाण पत्र की एक प्रति हमें व्हाट्सएप कर दें तो 8 घंटे के इंतजार के बाद भी वह जाति प्रमाण पत्र हमें नहीं भेज सके।
वही पड़ताल के दौरान पूनमबाई द्वारा नामांकन के समय प्रस्तुत शपथ पत्र भी हमको प्राप्त हुआ जिसमें उन्होंने लिखा है कि मेरे पास जाति संबंधी कोई प्रमाण पत्र नहीं होने से मैं यह शपथ पत्र प्रस्तुत कर रही हूं।
निर्वाचन विशेषज्ञों से मिली जानकारी के अनुसार हम आपको यह भी बता दे की मध्य प्रदेश पंचायत चुनाव में खड़े होने वाले ऐसे उम्मीदवारों के लिए जो नामांकन के साथ अपना जाति प्रमाण पत्र किसी कारण से प्रस्तुत नहीं कर पा रहे हो के लिए शपथ पत्र का प्रावधान इस शर्त के साथ किया गया है कि उन्हें मतदान के पूर्व तक अपना जाति प्रमाण पत्र आवश्यक रूप से रिटर्निंग अधिकारी को उपलब्ध कराना होगा और यह जिम्मेदारी रिटर्निंग अधिकारी की भी है वह इस प्रकार के उम्मीदवारों से मतदान के पूर्व जाति प्रमाण पत्र प्राप्त करें अन्यथा उनका नामांकन निरस्त करें।
पर इस प्रकरण में जो अभी तक जानकारी सामने आई हैं उसके अनुसार पूनमबाई ने अपना जाति प्रमाण पत्र ना तो मतदान के पूर्व जमा कराया और नाही अभी तक जमा कराया है।
इस संबंध में जब हमने सुसनेर एसडीएम सर्वेश यादव से चर्चा की तो उन्होंने बताया कि मामला मेरे संज्ञान में आया है और मैं इसकी जांच तहसीलदार को सौंप रहा हूं और जल्द ही जांच प्रतिवेदन वरिष्ठ कार्यालय को प्रस्तुत करूंगा।
पूरे प्रकरण की खास बात यह है की अपील अधिकारी होने के नाते तत्कालीन सुसनेर एसडीएम ने भी इस प्रकरण में अपनी जिम्मेदारी को गंभीरता पूर्वक नहीं निभाया वहीं इसी तरह की लापरवाही रिटर्निंग अधिकारी ( तहसीलदार ) द्वारा भी दिखाई गई और उसके बाद पूनम बाई को सरपंच निर्वाचित हुए करीब 33 माह का समय गुजर चुका है पर अभी भी उनसे जाति प्रमाण पत्र लेना अथवा झूठे शपथ पत्र पर कार्यवाही करना जिम्मेदारो को जरूरी नहीं लग रहा है-