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मोबाईल हैक कर हुई करीब 1 लाख की धोखाधड़ी में पीड़ित को मिली राशि वापस। साइबर फ्रॉड हेल्पलाइन नंबर, एसपी, थाना, साइबर सेल, सी. एम. हेल्प लाईन जब सब जगह से मिली निराशा तो फिर मिली यहां से सफलता –

आगर मालवा-

नेट और यूपीआई बैंकिंग नें जहां एक और आम जनता की वित्तीय सुविधाओं में क्रांतिकारी परिवर्तन कर उनकी सुविधाओं में वृद्धि की है वहीं ऑनलाइन फ्रॉड के चक्कर में पड़कर आम और खास लोगों को इसमें बड़ी धोखाधड़ी का सामना भी करना पड़ा है जिसमें उनकी मेहनत से कमाए गई बड़ी राशि चंद मिनटो में ही खाते से साफ हो गई है। आम जनता जितना इस तरह के फ्राड को लेकर जितना जागरूक होती है उससे एक कदम आगे बढ़कर फ्रॉड करने वाले नए-नए तरीका निकाल कर लोगों के साथ इस तरह की धोखाधड़ी कर जाते हैं।

ऐसी ही एक घटना आगर मालवा जिले के कानड़ में रहने वाले कमलेश बरेठा के साथ भी हुई थी जिसमें पूरी जागरूकता रखने के बाद भी पीड़ित कमलेश बरेठा को अपने बैंक खाते से करीब 1 लाख रुपेय की राशि से हाथ धोना पड़ा था। इस प्रकरण में फ्रॉड करने वालों ने उनकी सावधानी से भी आगे जाकर उनका मोबाइल हैक कर के इस राशि की धोखाधड़ी की थी। अपने साथ हुई धोखाधड़ी के बाद पीड़ित कमलेश बरेठा नें उनकी बैंक, साइबर फ्रॉड हेल्पलाइन नंबर, पुलिस थाना आगर, जिला साइबर सेल, पुलिस अधीक्षक कार्यालय और यहां से सफलता मिलती ना देख उसके तीन दिन बाद सी.एम. हेल्प लाईन में भी अपने साथ हुई इस धोखाधड़ी को लेकर आवेदन दिया पर सब जगह से उन्हें सिर्फ आश्वासन मिला और फिर इनमें से अधिकांश जगह यह कहते हुए कि आपके मोबाइल से ही ओटीपी दी गई है इसलिए फ्रॉड की गई राशि की वसूली होना काफी मुश्किल है जिम्मेदारों ने अपने हाथ खड़े कर दिए।

इसके बाद भी पीड़ित कमलेश बरेठा नें अपने साथ हुई इस प्रकार की धोखाधड़ी को लेकर हार नहीं मानी और वह लगातार अपने साथ हुई इस धोखाधड़ी में गई राशि को प्राप्त करने के लिए प्रयास करते रहे इसके तहत उन्होंने एक कंप्लेंट आरबीआई में भी की और फिर यही वह जगह थी जहां से उन्हें धोखाधड़ी में उनके बैंक से गई पूरी राशि को प्राप्त करने में सफलता मिली।

पीड़ित कमलेश बरेठा ने गिरीश न्यूज़ को बताया कि दिनांक 16 नवम्बर 2024 को उन्होंने अपनी बीमार पत्नी का ईलाज पुष्पा मिशन हॉस्पिटल उज्जैन में कराने के लिए गूगल पर पुष्प मिशन हॉस्पिटल के नंबरों को सर्च किया और वहां से अस्पताल के नंबर लेकर जब मोबाइल से संपर्क किया तो सामने से बताया गया कि उज्जैन से बाहर के लोगों का रजिस्ट्रेशन करने के लिए हम एक लिंक का उपयोग करते हैं उस लिंक पर जाकर रजिस्ट्रेशन करने के बाद आपको डॉक्टर का अपॉइंटमेंट मिलेगा और उस समय आकर आप डॉक्टर को दिखा सकते हैं। इस बातचीत के दौरान ही सामने से पीड़ित के व्हाट्सएप नंबर पर भेजी गई इस लिंक को ओपन कर पीड़ित कमलेश बरेठा ने रजिस्ट्रेशन की प्रक्रिया शुरू की तब मोबाइल पर चर्चा कर रहे सामने वाले ने बताया की आपको रजिस्ट्रेशन के लिए ₹10 का भुगतान करना होगा उसके बाद ही आपका रजिस्ट्रेशन हो पाएगा। इस पर पीड़ित कमलेश बरेठा को शक हुआ तो उन्होंने रजिस्ट्रेशन की प्रक्रिया को बीच में ही छोड़कर कॉल कट कर दिया और सामने से भेजी गई लिंक को भी डिलीट कर दिया। इस घटना के तीन दिन बाद 19 नवम्बर 2024 को जब पीड़ित नें आगर के छावनी नाका स्थित एक दुकान पर यूपीआई से कुछ भुगतान किया तो फिर उनके बैंक अकाउंट से लगातार राशि विड्रॉ होने लगी और 5-10 मिनट में ही हुए 6 ट्रांजैक्शन में लगभग 1 लाख का पेमेंट उनके खाते से विड्रा हो गया। इस दौरान पीड़ित कमलेश बरेठा क्योंकि छावनी नाके पर ही थे ऐसे में वे तत्काल छावनी नाके के खंडेलवाल परिसर में स्थित उनके बैंक एचडीएफसी की शाखा में पहुंचे और उन्होंने वहां अपने खाते से हो रहे इस तरह के फर्जी विड्रॉ के बारे में बैंक के कर्मचारियों को बताया इस दौरान 3 फर्जी ट्रांजैक्शन तो बैंक की शाखा में ही हो गए। यह देख बैंक नें तत्काल उनके खाते को लॉक किया जिसके चलते और अधिक राशि उनके खाते से विड्रा नहीं हो सकी जबकि उनके खाते में और अधिक राशि थी। ऐसे में यदि पीड़ित कमलेश बरेठा फुर्ती नहीं दिखाते या फिर वह अपनी ब्रांच से दूर होते तो और अधिक राशि उनके खाते से फर्जी तरीके से निकाली जा सकती थी।

पीड़ित कमलेश बरेठा ने इसके बाद तत्काल 19 फरवरी 2024 को ही साइबर फ्रॉड हेल्पलाइन नंबर, थाना कोतवाली आगर, जिला साइबर, पुलिस अधीक्षक कार्यालय और फिर यहां से भी कोई फायदा मिलता नहीं देख उसके 3 दिन बाद सी.एम. हेल्पलाइन पर कंप्लेंट दर्ज कराई पर सब जगह से उन्हें आश्वासन ही मिला पर धोखाधड़ी में गई राशि प्राप्त करने की दिशा में कोई ठोस कार्रवाई दिखाई नहीं दी। यहां तक कि इनमें से कहीं जगह से तो पीड़ित कमलेश बरेठा को यह तक कह दिया गया की ओटीपी आपके मोबाइल से ही दिया गया है ऐसे में इस राशि की वसूली काफी कठिन दिखाई देती है।

इसके बाद पीड़ित अपने परिचित विवेक खंडेलवाल से मिले और उन्हें सारा घटनाक्रम बताया इसके बाद विवेक खंडेलवाल के मार्गदर्शन में इस धोखाधड़ी की शिकायत 18 जनवरी 2024 को आरबीआई को मेल के माध्यम से की गई और फिर बाद में आरबीआई द्वारा कुछ और जानकारी कमलेश बरेठा से ली गई जो वह समय-समय पर आरबीआई को उपलब्ध कराते रहे इसके बाद यहीं से हुई कार्यवाही के चलते 4 जून 2025 को कमलेश बरेठा को अपने साथ हुई धोखाधड़ी में गई संपूर्ण राशि उनके खाते में वापस आ गई।

 इस पूरे घटनाक्रम से जो शिक्षा हमें लेनी चाहिए वह यह है कि हमें किसी भी अनजान लिंक को ओपन नहीं करना चाहिए और ना ही ऐसी कोई एप्लीकेशन डाउनलोड करना चाहिए जिसको लेकर हम कंफर्म नहीं है और यदि इसके बाद भी कोई धोखाधड़ी हो जाती है तो हमें तत्काल अपनी शिकायत बैंक से लेकर उन सभी प्लेटफॉर्मों पर दर्ज करानी चाहिए जहां से इस तरह की धोखाधड़ी में कार्यवाही के लिए शासन ने व्यवस्था की है। कमलेश बरेठा के इस प्रकरण में उनको आरबीआई के माध्यम से ऑनलाइन धोखाधड़ी में गई संपूर्ण राशि को प्राप्त करने में सफलता प्राप्त हुई है और अब वह इस खबर के माध्यम से यही चाहते हैं कि आम जनता को भी यह पूरी जानकारी मिले ताकि कभी उनके साथ इस तरह का कोई फ्रॉड हो तो वह धोखाधड़ी में इस प्रकार गई अपनी राशि की वसूली कर सकें –

 

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