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नियमो को खुलेआम ठेंगा दिखा रहे शराब ठेकेदार और शराबी । लोग परेशान । जिम्मेदार मौन । देखे जिला मुख्यालय के राष्ट्रीय राजमार्ग पर स्थित दुकान के हाल

शराब ठेकेदारों की अवैध कृत्यों और नशेड़ियों से लोग परेशान पर जिम्मेदार मौन

आगर मालवा-
यदि पूछा जाए कि सबसे अधिक कानून को खुले आम ठेंगा दिखाने का कार्य कहाँ होता है तो बेशक जानकर यही जवाब देंगे कि शराब के ठेकेदारों द्वारा और जब इन शराब के ठेकेदारों से पूछा जाता है कि भाई आप ऐसा क्यों कर रहे है तो अक्सर उनका जवाब होता है अधिकरियों की वसूली ।
ठेकेदार कहता है कि चाहे ठेके को नियम से चलाओ या नियम विरुध्द अधिकरियों की रुपयों और दारू से सेवा तो करना ही पड़ती है तो फिर क्यों ना ठेके से जितना कमाया जा सके उतना कमाया जाना चाहिए फिर चाहे अवैध तरीके से शराब पिलाने की व्यवस्था करनी पड़े या फिर गांव गांव अवैध रूप से डायरी बनाकर शराब बेचने की व्यबस्था करनी पड़े ।
मामला यह नही है कि जब यह हकीकत ठेकेदार बताता है तभी सामने आती है क्योंकि यह पूरा खेल इतना खुल्लम खुल्ला है कि हर कोई जानता है कि इस व्यवसाय में क्या चल रहा है पर सब कुछ जानने के बाद भी सब जिम्मेदार मौन है तो फिर ये मौन की पट्टी क्यो लगी है यह आसानी से समझा जा सकता है ।
पर इस पूरे खेल का यदि खामियाजा किसी को भुगतना पड़ रहा है तो वह है आम जनता ।
तो आइए हम आपको दिखाते है ऐसा ही कुछ आगर मालवा जिला मुख्यालय के इंदौर-कोटा राजमार्ग पर बस स्टैंड के नजदीक स्थित देशी विदेशी कंपोजिट शराब की दुकान के सामने के हालात जिसे देख कर आप दंग रह जाएंगे, क्योकि खुले आम राष्ट्रीय राजमार्ग से लगे इस स्थान पर किस तरह लोग शराब पीकर बेसुध पड़े हुए है और किस तरह से शराब की बोतल बिखरी पड़ी है ये सब हैरत में डालने वाला है पर ये सब एक आम इंसान को तो दिखता है पर जिम्मेदारों को नही आखिर क्यों ? समझना आसान है ।
वहीं दूसरी और इस दुकान के आस पास रहने वाले रहवासी इस स्थिति से काफी परेशान है और जिम्मेदारों से गुहार लगा रहे है कि महोदय कुछ समहालिये इसे, हमारा यहां रहना और जीना दूभर होता जा रहा है ।
वहीं ठेकेदारों द्वारा गांव-गांव अवैध रूप से भेजी जा रही शराब ने इस जिले की युवा पीढ़ी को सबसे अधिक बर्बाद करने का काम किया है और घर की महिलाएं अपने पति और बच्चों को लेकर परेशान रहती है और कई अपराधो का जन्म इन परिस्थियों के बीच होता है ये भी किसी से छिपा हुआ नही है ।
क्या जिम्मेदार वास्तव में अब अपनी कुछ सामाजिक जिम्मेदारी भी निभाएंगे ?
या फिर मौन की ये पट्टी कुछ इतनी मोटी बंधी हुई है कि आवाज बाहर तक नही आ पाएगी ।
हालांकि जब हमने इस बारे में जिला आबकारी एस. के. राजोर से बात करनी चाही तो पता चला साहब अभी अवकाश पर है, वापस आने के बाद ही चर्चा हो पाएगी ।

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