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आगर मालवा जिले में खुल के चल रहा अवैध उत्खनन का खेल। क्रेशर संचालक लगा रहै शासन को करोड़ों रुपए कै राजस्व की चपत। खनिज विभाग द्वारा नियमानुसार भौतिक सत्यापन ना करने से अवैध उत्खननकर्ताओं के बड़ रहे हौसले ।

आगर मालवा जिले में खुल के चल रहा अवैध उत्खनन का खेल। क्रेशर संचालक लगा रहै शासन को करोड़ों रुपए कै राजस्व की चपत।
खनिज विभाग द्वारा नियमानुसार भौतिक सत्यापन ना करने से अवैध उत्खननकर्ताओं के बड़ रहे हौसले ।

आगर मालवा-
शासन द्वारा क्रेशर संचालकों को 10 वर्ष कै लिए उत्खनन पट्टे आवंटित किए जाते है, जिसमे क्रेशर संचालक द्वारा खनिज विभाग को वार्षिक उत्खनन की मात्रा बता कर हर वर्ष की अनुमति प्राप्त कर उत्खनन किया जाता है और इस नियम के तहत क्रेशर संचालक प्राप्त अनुमति की मात्रा का ही अपनी खदान से उत्खनन कर सकता है एवं तय मात्रा से अधिक उत्खनन करने हेतु उसे विभाग से पुनः स्वकृति प्राप्त करना होती है।
क्रेशर संचालक प्राप्त उत्खनन अनुमति के अनुसरण में जब उत्खनन कर गिट्टी विक्रय करता है तो उस समय क्रेशर संचालक को विक्रित उक्त मात्रा का जीएसटी बिल गिट्टी खरीददार के नाम पर बनाने होते है व साथ ही विक्रय की जा रही गिट्टी पर रॉयल्टी राशि शासन के मद जमा कराई जानी होती है।
साथ ही उक्त वार्षिक उत्खनन अनुमति के परिपेक्ष मै क्रेशर संचालक द्वारा हर माह मै कितनी मात्रा का उत्खनन किया गया है का मासिक प्रतिवैदन भी विभाग को प्रस्तुत करना होता है।
“गिरीश न्यूज़” की जानकारी में आया है कि आगर मालवा जिले के खनिज विभाग के लचर रवैया का फायदा उठा कर क्रेशर संचालक GST की राशि जमा न करना पड़े इसलिए बिना बिल के एवं रॉयल्टी की राशि बचाने हेतु गिट्टी का विक्रय नगद राशि मै कर उक्त विक्रय का हवाला शासन को नहीं देकर शासन के राजस्व की चोरी कर लेते है, जिससे शासन को करोड़ों रुपए का वार्षिक राजस्व का नुकसान हो रहा है।
ऐसा ही एक मामला आगर मालवा जिले की सुसनेर तहसील की पिपलिया नानकार मैं स्थित क्रेशर का उजागर हुआ है जिसमे क्रेशर संचालक राकेश शर्मा पर वर्ष 2018 मै गिट्टी की वास्तविक मात्रा से कम मात्रा का विक्रय बताने के आरोप एक ठेकेदार द्वारा पिछले दिनों विभाग के वरिष्ठ अधिकारियों को की गई अपनी शिकायत में मय साक्ष्य के लगाए है ( शिकायत की प्रतिलिपि गिरीश न्यूज़ के पास उपलब्ध है )
शिकायतकर्ता ठेकेदार ने अपनी शिकायत में बताया है कि क्रेशर संचालक को जब बैंक के माध्यम से भुगतान किया जाता है तब क्रेशर संचालक क्रेता को जीएसटी व रॉयल्टी के बिल प्रदान करने का कह कर क्रेता से GST व रॉयल्टी की राशि का भुगतान तो प्राप्त कर लेता है किंतु फिर इस रॉयल्टी की राशि को शासन मद में जमा न कर खुद ही रख लेता है ।
शिकायतकर्ता ठेकेदार ने गिरीश न्यूज़ को बताया है कि पिपलिया नानकार मैं स्थित क्रेशर संचालक राकेश शर्मा द्वारा वर्ष 2018 मै सेल टैक्स विभाग मै तकराबीन 14000 घन मीटर गिट्टी रुपए 45,92,903 की विक्रय बताई गई है, जबकि उक्त संचालक द्वारा रॉयल्टी सिर्फ तकरीबन 8000 घन मीटर की ही काटी गई है । शिकायतकर्ता क्रेशर संचालक से अपनी लगभग 6000 घन मीटर की रॉयल्टी रसीद पिछले 4 वर्षो से लेने का प्रयास कर रहा है और अब जाकर मामले में खुलासा हुआ है कि क्रेशर संचालक ने ठेकेदार को गिट्टी तो बेच दी और उससे रॉयल्टी के पैसे भी ले लिए पर जितनी मात्रा में ठेकेदार को गिट्टी बेची गई है उससे काफी कम मात्रा खनिज विभाग में बताकर और उस आधार पर ही रॉयल्टी जमा कर शासन को जम कर चूना लगाया गया है जिसके चलते अब ठेकेदार के सामने बड़ी गंभीर स्थिति खड़ी हो चुकी है क्योंकि यदि क्रेशर संचालक ने ठेकेदार को उस समय की रॉयल्टी रसीद उपलब्ध नही कराई तो फिर ठेकेदार को इस पर बड़ी पेनाल्टी लगाई जा सकती है जिसके चलते क्रेशर संचालक और ठेकेदार में अब विवाद की स्थिति उत्पन्न हो गई है और मामला विभाग के वरिष्ठ अधिकारियों को शिकायत करने तक पहुँच गया है ।
जानकारों का कहना है कि यदि उक्त क्रेशर का भौतिक सत्यापन किया जाए तो अवैध उत्खनन की उक्त मात्रा कई गुना बढ़ सकती है।
इन आरोपो के संबंध में जब गिरीश न्यूज़ ने राकेश शर्मा का पक्ष जानना चाह तो पहले उन्होंने हमारे कार्यालय में आकर वस्तु स्थिति बताने की बात कही पर इसके बाद वह ना तो कार्यालय में आए और ना ही फिर उन्होंने हमारा काल उठाया ।
मूल विषय यह है कि यह तो मात्र एक ठेकेदार का प्रकरण है जिसका खुलासा व्यवसायिक विवाद होने पर हो रहा है पर इससे यह बात स्पस्ट रूप से समझ मे आती है कि यदि जिले के क्रेशर संचालको का खनिज विभाग द्वारा ईमानदारी से भौतिक सत्यापन किया जाए तो शासन को राजस्व बड़ा चूना लगा रहे इस तरह के व्यवसाईयों को अच्छा सबक सिखाया जा सकता है और वहीं शासन को होने वाले राजस्व के नुकसान से भी बचाया जा सकता है ।

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