10 लाख के गबन के आरोपी पंचायत सचिव को 5 साल का कारावास और 1 लाख से अधिक का अर्थ दंड । एडीजे आगर प्रथम प्रदीप कुमार दुबे ने सुनाई सजा । कहा भरस्टाचार के खिलाफ महत्वपूर्ण संदेश बनेगा यह आदेश-
आगर मालवा-
आगर प्रथम अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश श्री प्रदीप दुबे नें 31 अक्टूम्बर को एक महत्वपूर्ण फैसला सुनातें हुए शासकीय रिकार्ड में हैरा फैरी कर दस लाख रुपये के गबन के एक मामलें मे आरोपी पंचायत सचिव को पाँच वर्ष के कठोर कारावास व अर्थ दण्ड से दंडित किया है, मामला ग्राम पंचायत भादवा जनपद पंचायत आगर का है ।
अतिरिक्त लोक अभियोजक यशराज परमार नें जानकारी देते हुए बताया कि ग्राम पंचायत भादवा में सचिव पद पर कार्यरत सजनसिह पिता निर्भयसिंह सिसोदिया नें विभिन्न शासकीय हितग्राही मुलक योजनाओं से संबंधित राशि वर्ष 2011-12 एवं 2012-13 के दौरान शासकीय रिकार्ड में हैरा फैरी कर दस लाख रुपयें अपने निजी खातें में अंतरित कर गबन किया था ।
इस तारतम्य में मुख्य कार्यपालन अधिकारी जनपद पंचायत आगर द्वारा दिये गये आवेदन पर कानड़ पुलिस नें जॉच कर आरोपी सजनसिंह के खिलाफ भा.द.वि. की धारा 420,409,467 व 468 में प्रकरण दर्ज कर विवेचना उपरांत न्यायालय में चालान प्रस्तुत किया था ।
विद्वान न्यायाधीश श्री प्रदीप दुबे नें प्रकरण में आयी सभी साक्षियों की विवेचना उपरांत दिनांक 31/10/2022 को प्रकरण में आदेश पारीत कर आरोपी सजन सिंह को धारा 420 में तीन वर्ष के कठोर कारावास व पाँच हजार रुपये के अर्थदंड़ व धारा 409 में पाँच वर्ष के कठोर कारावास व एक लाख रुपयें के अर्थदंड से दडिंत किया है दोनों सजा साथ-साथ चलेगी, अर्थदंड जमा न किये जानें की दशा में दो वर्ष का अतिरिक्त कठोर कारावास प्रथक से भुगताये जानें का आदेश भी दिया गया है।
भृश्टाचार के खिलाफ जंग में महत्वपुर्ण संदेश बनेगा सजा का यह आदेश आदेश में कि गई महत्वपुर्ण टिप्पणी
अभियुक्त द्वारा ग्राम पंचायत का सचिव रहतें हुए शासन की और से ग्राम पंचायत के माध्यम से गरीबों के कल्याण हैतु विभिन्न योजनाओं का क्रियान्वयन किया जाता है तथा ग्राम पंचायत का सचिव सभी कार्यो के
लिए प्रमुख जवाबदेह शासकीय प्रतिनिधि होता है। अभियुक्त द्वारा शासकीय योजनाओं की दस लाख रुपये से अधिक की राशि अपनें स्वयं के खातें में आहरित कर न केवल आपाधिक न्यास भंग कारित किया है, बल्कि लोक अर्थात ग्रामीणों के साथ बेईमानी करतें हुवे छल भी कारित किया है । यह सही है कि वर्तमान में समाज में चारो और भृष्टाचार व्याप्त है जो विकास की याजनाओं को धरातल पर फलीभुत करने में सबसे बड़ी बाध है तथा शासन द्वारा ग्राम पंचायतों के विकास हैतु करोड़ो अरबों रुपयें व्यय किये जानें के बावजूद जमीनी स्तर पर स्थिति लगभग पुर्वानुसार ही है, जिसके संबंध में काफी हद तक ग्राम पंचायत प्रतिनिधि एवं ग्राम सचिव उत्तरदायी है ।अतः उपरोक्त परिस्थितियो में अभियुक्त को उसे कृत्य के लिए एक शिक्षाप्रद दंड दिया
जाना आवश्यक है, जिससें कि समाज में एक सकारात्मक संदेश पहुंचे एवं भविष्य में अन्य समकक्ष व्यक्ति इस प्रकार का कृत्य करने के पूर्व उस पर विचार करे |