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पटवारी पर लगे भूमि स्वामीत्व सम्बन्धी फर्जी दस्तावेज जारी करने के आरोप, तहसील में उपलब्ध नहीं जारी दस्तावेजो का कोई रिकॉर्ड। पटवारी पर लग रहा उसकी पत्नी के नाम से किसान को धोखे मे रखकर पीड़ित किसान की जमीन क्रय करने के आरोप। कलेक्टर ने कहा करवाएंगे आरोपो की जांच-

आगर मालवा –
पूरा मामला सुसनेर तहसील के ग्राम मगरिया का है जहां इस ग्राम के एक किसान अमरलाल बागरी ने जब अपने स्वामित्व की भूमि के संबंध में पहले से उपलब्ध खसरा, बी-1 एवं ऋण पुस्तिका जिस पर बाकायदा तहसीलदार और तात्कालीन पटवारी रामगोपाल रातडिया के हस्ताक्षर हैं की प्रमाणित प्रतिलिपि लेने के लिए सुसनेर तहसील में सूचना अधिकार के तहत आवेदन लगाया तब सुसनेर तहसील ने अपने उत्तर में बताया है कि इस तरह का कोई रिकॉर्ड उनके कार्यालय में उपलब्ध नहीं है।
उपरोक्त स्थिति में स्पष्ट प्रतीत होता है कि तहसीलदार और पटवारी रामगोपाल रातडिया द्वारा जारी किए गए दस्तावेज फर्जी हैं।
सूचना अधिकार में इस तरह की जानकारी मिलने के बाद पीड़ित किसान ने अपने पुत्र बलराम बागरी के माध्यम से कलेक्टर कार्यालय में एक लिखीत शिकायत देकर इस तरह फर्जी कागजात जारी करने वाले पटवारी पर कार्रवाई की मांग की है।
गिरीश न्यूज़ की जानकारी में आने के बाद यह मामला हमारे द्वारा कलेक्टर राघवेद्र सिंह के सामने भी उठाया गया है जिस पर कलेक्टर नें प्रकरण में जांच कर उसमें आए तथ्यों के आधार पर उचित कार्रवाई करने का आश्वासन दिया है।
पूरा मामला कुछ इस तरह है कि पीड़ित किसान की ग्राम मगरिया में दो अलग-अलग जगह भूमि थी एक भूमि मुख्य सड़क के किनारे स्थित होकर जिसका सर्वे नंबर 619 है अधिक कीमती थी वहीं दूसरी भूमि गांव के नजदीक होकर जिसका सर्वे क्रमांक 505 /1 है सामान्य कीमत की थी।
पीड़ित किसान अमरलाल ने गिरीश न्यूज़ को बताया कि वर्ष 2010 में तात्कालीन पटवारी राम गोपाल रातडिया द्वारा उसकी पत्नी संतोषदेवी के नाम से गांव के नजदीक स्थित भूमि 505/1 का क्रय पीड़ित किसान से किया गया था पर रामगोपाल रातडिया ने अपनी स्थिति एवं पीड़ित किसान के अनपढ़ एवं अज्ञानता का लाभ उठाते हुए इस क्रय-विक्रय पत्र में गांव के नजदीक स्थित भूमि का उल्लेख करने की जगह मुख्य सड़क मार्ग पर स्थित भूमि के दस्तावेजों का उपयोग कर उस भूमि का क्रय-विक्रय पत्र निष्पादित करवा लिया जिसे पीड़ित किसान ने बेचा ही नहीं था और जिस पर अभी भी पीड़ित किसान ही काबिज है।
यह की इस दौरान जब रामगोपाल रातडिया ने पीड़ित किसान की इस भूमि को दूसरे लोगों को बेचने का प्रयास किया तब पीड़ित किसान को मालूम हुआ कि मामले में कुछ गड़बड़ है । तब पीड़ित किसान अमरलाल, पटवारी रामगोपाल रातडिया के पास गया तब रामगोपाल रातडिया ने कहा कि वह तो कंप्यूटर की त्रुटि से कुछ हो गया है इसलिए इस तरह का मामला सामने आया है आप कल-परसों तहसील में जाकर प्रमाणित दस्तावेज निकाल लेना भूमि आपका नाम से ही दिखेगी।
जब पीड़ित किसान ने तहसील सुसनेर में भूमि के खसरा एवं बी-1 के लिए आवेदन लगाया तो तत्काल ही अमरलाल को उसके नाम से इस भूमि के खसरा एवं बी-1 के प्रति तहसील से दे दी गई और यही नहीं पटवारी रामगोपाल रातडिया द्वारा बाकायदा तहसीलदार एवं स्वयं के हस्ताक्षर से जारी ऋण पुस्तिका भी पीड़ित किसान अमरलाल को दे दी गई।
अब जबकि एक बार फिर वर्ष 2024 25 में प्रीत किस ने अपनी रोड स्थित भूमि पर केसीसी के लिए आवेदन किया तो उसकी जानकारी में आया कि यह भूमि उसके नाम से नहीं बल्कि तात्कालीन पटवारी रामगोपाल रातडिया की पत्नी संतोष देवी के नाम से है।
इस तरह पीड़ित किसान की जानकारी में आया कि उसको जो प्रमाणित दस्तावेज तत्कालीन पटवारी राम गोपाल रातडिया द्वारा वर्ष 2011 में उपलब्ध कराए गए थे वह तो फर्जी है तब इस संबंध में किसान द्वारा सूचना अधिकार के तहत एक आवेदन लगाते हुए तहसील सुसनेर से वही खसरा एवं b1 की प्रमाणित प्रतिलिपि चाही गई जिस पर तहसील सुसनेर द्वारा जवाब दिया गया कि इस तरह का कोई रिकॉर्ड इस तहसील में उपलब्ध नहीं है।
उपरोक्त तथ्यों से स्पष्ट प्रतीत होता है कि पीड़ित किसान के साथ एक बड़ी धोखाधड़ी हुई है।
इसके बाद पीड़ित किसान द्वारा कलेक्टर कार्यालय में एक शिकायती आवेदन देकर इस प्रकार फर्जी रूप से भूमि के स्वामित्व संबंधी दस्तावेज जारी करने वाले अधिकारी कर्मचारियों पर कार्रवाई की मांग की गई है।
गिरीश न्यूज़ के संज्ञान में आने के बाद जब हमने यह मामला आगर कलेक्टर राघवेंद्र सिंह के सामने रखा तो उन्होंने इस प्रकरण की जांच कराते हुए जांच में आए तथ्यों के आधार पर उचित कार्रवाही का आश्वासन हमें दिया है।

इस संबंध में आरोपित पटवारी राम गोपाल रातडिया से जब गिरीश न्यूज़ ने मोबाइल पर संपर्क का 3-4 बार प्रयास किया तो उन्होंने कॉल रिसीव नहीं किया है।

 

 

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